सैफल की कहानी

लखनऊ में शहर की बड़ी कहानियां है..अदब, नज़ाकत, नवाबी अंदाज़, यू पी के लोगो की आरामतलबी, कई तरह के फितूर जो सिर्फ इसी शहर में ही दिखेंगे आपको। इस बीच मुझे एक नयी कहानी मिली। सुनाती हूँ आपको।

सैफल की कहानी। हाँ जी...सैफल। ये सैफ अली खान के रिश्तेदार नही है जैसा कि नाम से जान पड़ते है। इसे तो सी एफ एल का लखनवी नाम कह लीजिये। लखनऊ का इक तबका सी एफ एल को सैफल के नाम से ही बुलाता है। जी हाँ...CFL. पर इन्हें ये  बिल्कुल सही से पता है कि इससे बिजली कम खर्च होती है। बिल भी कम आएगा फिर। बस।
सरकार का काम शायद पूरा हो गया वो यही तो बताना चाहती है कि सी एफ एल का इस्तेमाल करे और ये तभी होगा जब हर एक तबके को इसका फायदा पता होगा। यहाँ हर किसी को ये पता चल गया है कि सैफल के क्या फायदे हैं। और लोग बाग़ उसे इस्तेमाल करने लगे है। अब सैफल जी  का क्या किया जाये। यहाँ तो एक नही सब के सब इन्हें इसी नाम से बुलाते हैं। एक बार को मुझे लगा  कि मेरा सी एफ एल बोलना कही उनको चौंका न दे। खैर,
सरकार का एक काम तो पूरा हुआ पर दूसरे का क्या। क्या हम इसी में खुश हो जाये कि सी एफ एल के भरपूर इस्तेमाल से क्लाइमेट पे बेहतर असर होगा। रिजल्ट में कुछ पॉजिटिव दिखेगा पर क्वालिटी के तौर पे हम कहाँ रह जा रहे हैं। कही यही रवैया तो नही है जिसकी वजह से हम एच डी आई और ऐसी तमाम लिस्ट जो हमारे लाइफ स्टाइल को परखते है उनमे पीछे रह जा रहे है।

विशेष टिप्पणी-  सैफल जी से व्यक्तिगत तौर पे कोई परेशानी नही है। किसी तबके विशेष की भावना आहात करने का कोई इरादा नही है। कहना पड़ता है वो क्या है न आज कल लोग बहुत जज़्बाती हो गए है, खासकर हिंदूवादी लोग। ;-) 

Comments

Pankaj Dixit said…
भाई 'सैफल’ की कहानी तो बहुत अच्छी लगी । एक परिपक्व लेखक या रचनाकार या ब्लागर बनने का ही गुण है कि वह उन विषयों को भी प्रकाश में ला दे जो लगते तो सामान्य से है लेकिन होते बड़े महत्वपूर्ण है ।हमारे ब्लागर में तो ये गुण भलीभांति आ चुका है....
आशा है कि आगे ऐसे ही अन्य रोचक विषयों पर पढने के लिए मिलेगा(जैसे इलाहाबाद स्टेशन का टेशन, लखनऊ में इंजीनियरिंग चौराहे का इंजिनियर चौराहा आदि)...परंतु 'खासकर हिंदूवादी लोग’ शब्दावली समझ नही आई।

Popular Posts