आखिरी बार एक मुलाकात
तोड़ दो सरे बंधन
खुद से नाराज़ हो लो
सिसकियों को तिजोरी में
रख छोड़ आओ
हँसी बाँध दो पेड़ की डाल में
कहना सबकुछ छिपा दो
एक अखबार में
लपेट लो अपनी अकड़न
टांग दो कही खूंटी में
छोड़ आना वो पिछला चिल्लाना भी
सब से पहले इस फ़ोन को
बंद कर आना अलमारी में
और रख आना कही वो
भागना मुझसे भी
हो सके तो ले आना
पहली मुलाकात की मुस्कराहट
मेरा सर सहलाना
और वो मन्मार्जियां गाना भी
वो रात की एक आहट
जो दबे पाँव थी आई
बुला लेना उसे भी
भरे दिन बाजार में
कई सारे नामो को
न्योता दिया है
तुम भी बुला लेना
जो मुझको बुला लेते थे यूँ आते जाते
कइयों का पता याद नही मुझको भी
अच्छा सुनो
कुछ गुस्सा चिढ भी उठा लाना
चुपके से
पूरा आ गए तो
मैं फिर कुछ न कह पाऊँगी
ले आना वो
सुबह में मुझे एक टक देखना
उन होठो आँखों की पोटली भी ले आना तुम
हाथ पकड़ने की कोशिश
भी आ जाने दो
और क्या क्या बताऊ
क्या ले आओगे
जो मिले न मिले सब समेटे आना तुम
कल की तारीख
तुम याद रख लेना बस
और खुद भी चले आना जी
कहते है,
जाने वाले को आखिरी सलाम पेश करना कल्चर का हिस्सा है अपने।
इन सब को ले के
चले आना तुम
एक बार देख के जाना तुम
पिछली कई दफे से आँखों तक नज़रे पहुच नही पायी तुम्हारी
इस बार मेरी आँखों पे नज़रे लगा जाना तुम
एक आखिरी सलाम ले जाना तुम
वो चाभी का छल्ला
वो कमरे का कोना
मेरी वो जगह
वो बाँहों का सिरहना
न देना इन्हें अब
किसी और को
गर देना तो
धुल के मिटा देना मुझको
मेरी यादों का पसीना
बड़ा दागदार है।
कहते है,
जाने वाले को उसकी पसंद का सामान
दे देते है
उसके संग जाने देते है
तुम मुझे मेरा प्यार
मेरे सपने
हँसी
वो कंधे की तकिया मेरी
वो मालिश का हिस्सा मेरा
बिन कहे सब समझने का किस्सा तेरा
तेरा रूठना
मान जाना मेरा
रूठते रूठते आज यूँ ये जाना तेरा
हारना और हार के टूट जाना मेरा
सब छोड जाना यही
मुझ संग जाने को
मैं सबसे प्यारी मुहबत
दान करती हूँ
तुझे इस दुनिया के हवाले करती हूँ।
बस तू ये दिन याद करना
एक बार मुझे देखने
आना ज़रूर ।
Comments
वहां, हाँ भाई हाँ वहीं उसी खूंटी पर टांग आया हूँ,
जब जी करे उतार लेना,
अपनी पुरानी आदत है गुच्छों को बार बार संभालने की।।
बाकि सब ठीक है
शब्दों को थोड़ा और पिरो दो हमारी महक
खूंटी से उतर उधर उन भावनाओं में आ जाएगी।।