शक्ल पे आयतें लिखी है क्या? जो हर शब देखना जरुरी सा लगता है, वो धुप से अपनी बंद होती आखो को खुले रखने की कोशिश करते हुए पूछी। एक हाथ से धुप को रोकने की कोशिश में थी।
वो बन्दूक उठाये खड़ा हो गया उसके बगल आ कर...धूप रोकते हुए बोला, कुछ मोहब्बत होती ही ऐसी है
उसमे एक सुकून मिलता है। जब उसे बिस्तर में बिखरा सिमटा सा देखो या माशूक की तड़प उस सरहद पे देखो, हर वक़्त में।

वो मुस्कुरा उठा। और वो उसकी परछाई में खुद को लपेट, नज़रे नीचे झुका उसकी परछाई को अपनी उंगलियो से छूने लगी।

आज वो आँखे सीधे सूरज जो घूर रही है इस आस में कही फिर से उसका बन्दूक वाला जवान वापस आ जाये छाँव बन के।


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